क्या दोष है मेरा
मेरे विचारों में शब्दों में कौन सा विष है जो हानि करता है दूसरों की मैं न्याय की बात करता
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Read Moreछिन्न भिन्न कर डाला उसको प्रकृति के भींगे है नयन तभी कोरोना तभी अधियाँ आफत आई है ये गहन मिली
Read Moreव्यंग्य कविता। बात होती जब वतन की वो सवाल करते हैं। खामोशी से कभी आंखों से कमाल करते हैं। तुम
Read Moreशब्दों से ही क्या इजहार होता है प्यार का जरूरी है क्या शब्द मुझे तुमसे प्यार है बिना शब्दों के
Read Moreसिर को झुकते देखा है, पर झुकाते नहीं देखा अभी अपनापन देखा है, परायापन नहीं देखा अभी प्यार देखा है,
Read Moreआया ‘कोरोना वायरस’ सबसे ज्यादा हम बेहाल हुये, सच कहता हूँ, हम मजदूरों के बहुत ही बुरे हाल हुये। छूटा
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