कहानी – ये ख़त मैंने कभी लिखा ही नहीं
मेरे ख़्वाबों की हक़ीक़त और मेरा अरमान थी वो, मैं उसे दिल की बे इंतेहा गहराइयों से प्यार करने लगा
Read Moreमेरे ख़्वाबों की हक़ीक़त और मेरा अरमान थी वो, मैं उसे दिल की बे इंतेहा गहराइयों से प्यार करने लगा
Read Moreकड़ाके की सर्दी थी। पूरी प्रकृति चांदी की अर्क से ढकी पड़ी थी। दुल्हन सी सजी कलियां खिलने के लिए
Read Moreमनोज फोन पर बात करते हुए — आप चिंता न करें मैं हू¡ ना । आपको जो भी काम हो
Read Moreकालिज पहुंचते ही तनु ने आज सब से पहले स्टाफ क्वार्टर के लिए आवेदन किया. इतने साल हो गए उसे
Read More1.अभी का दृश्य नायक सड़क के किनारे बैठा राह पर अपने प्रेयसी को आने का इंतजार कर रहा था, अचानक
Read Moreवह तीनों टाइम नशे में धूत रहता था। कभी कभी बेहद नशे में उसे देखा जाता। वह चलने की हालत
Read Moreसर्दियों का मौसम था ।सूरज की मीठी किरणें रोम- रोम को महका रही थी। छुट -पुट दुकाने भी लग ही
Read Moreउस भिखारी से यह मेरी पहली मुलाकात नहीं थी, इसके पहले भी हम दो बार मिल चुके थे। अपने ही
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