कहानी

बदलते रिश्ते

शादी की बहुत दिनों बाद अनोखी अपने ननिहाल गई, वहाँ उसने देखा नानी का घर कच्चे मकान के स्थान पर, पक्की ईंटों का आलीशान बँगला बन गया था। गाड़ी दरवाज़े पर जाकर खड़ी हुई, अनोखी ने कार से उतरते हुए घर के मुख्य द्वार की ओर क़दम बढ़ाए। घर की कुछ महिलाएँ उसे देख और […]

कहानी

कहानी – सृजन धारा

“…हूँ…हूँ …हूँ …हूँ ….देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए… दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए…. ये गिला है आपके निगाहों से, फूल भी हो दरमियाँ तो फासले हुए…” तकिए को बिस्तर पर जमाते हुए रेडियो के चित्रपट संगीत कार्यक्रम में चल रहे गीत को गुनगुना रही थी। “…तभी तेरी आवाज है हवाओं […]

कहानी

आधी अधूरी कहानी

जैसे चाँदनी की सुन्दरता चाँद से और अमावस पर घनघोर अंधकार की अपनी छटा होती है ।ठीक ऐसे ही चकोर को मात्र बारिश की एक ही बूँद अमृत समान लगती है। यह भी शाश्वत सत्य है कि सृष्टि का अस्तित्व नर और नारी से ही संभव है । सृष्टि के निर्माण हेतु परमेश्वर ने उजाला-अंधेरा […]

कहानी

कहानी – अपनी अपनी जिन्दगी

नूना मेरे पास काम की तलाश में आया था। अपने नये फार्म हाउस के लिए मुझे एक नौजवान नौकर की जरूरत थी। नूना को उसी काम के लिए बुलाया था मैने। पीडा में डूबी नूना की बातों ने मुझे झकझोर दिया था। वह अपनी आप बीती सुना नहीं जैस गिना रहा था-“ कहां पता था […]

कथा साहित्य कहानी

आरुणि की गुरुभक्ति

अपने गुरु महर्षि धौम्य की आज्ञा पाकर शाम को छतरी और टॉर्च लेकर आरुणि अपने सर्वसुविधायुक्त गुरुकुल आश्रम के ठीक पीछे स्थित खेतों की ओर निकल गया। वहाँ पहुँचकर उसने देखा कि खेत की मेड़ जगह-जगह से कटी हुई हैं। पानी द्रुत गति से  खेतों से निकल कर आगे बहता जा रहा है। पानी के […]

कथा साहित्य कहानी

राष्ट्रप्रेम

देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर था। दुकानदार लगभग हर चीज में मिलावट कर बेच रहे थे। सभी दफ्तरों में सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की मनमानी चल रही थी। महिलाओं और बच्चों का अपहरण आम हो गया था। लड़कियों और महिलाओं का घर से बाहर निकलना लगभग दूभर हो गया था। आम आदमी का जीना मुहाल हो […]

कथा साहित्य कहानी

नमक हलाल

रामबाबू एक प्राईवेट कंपनी में एकाऊंटेंट थे। वे उन लोगों में से एक थे जिनका यह मानना होता है कि कर्म ही पूजा है और कार्यालय मंदिर। कंपनी के प्रति उनकी निष्ठा, समर्पण व ईमानदारी का न केवल कंपनी के मालिक ठाकुर रामदयाल जी और सभी डायरेक्टर्स बल्कि पूरा स्टाफ और क्लाइंट भी कायल थे। […]

कहानी

राधा की बेटी

” माँ, ओ माँ, कहा हो ? ” अपनी बेटी, नंदिनी की आवाज़ सुनकर राधा चौक जाती है। ” मैं यहाँ हूँ, बेटा रसोई में, ” राधा ने कड़ाही में से एक पकोड़ा निकालकर चखकर देखते हुए कहा। नंदिनी ने आकर माँ के गले में बहे डाल कर प्यार से कहा, ” जानती हो माँ […]

कहानी

गर्भनाल

बैंड बाजे के शोर में कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। हर कोई एक दूसरे से बात करते हुए ऐसे चीख रहा था जैसे पुराने लैंड लाइन पर एस टी डी कॉल पर बात हो रही हो। मंडप सज कर तैयार हो चुका था। नंदोई जी हलवाइयों को मेनू समझा रहे थे। ननद रानी […]

कहानी

रूढ़िवादी

        यह कहानी शुरू होती है ,गंगा यमुना के मिलन  के शहर प्रयागराज से , जहाँ संगम और गंगा के किनारे रूढ़िवादी परंपराओं का पोषण होता है ,और दारागंज और अल्लापुर में दस गुणे दस के कमरों में प्रगतिवाद की ओर बढती एक रूढ़िवादी दुनिया बसती है, तो सिविल लाइन के महंगे […]